Mirza Ghalib Shayari in Hindi

Mirza Ghalib Shayari in Hindi
Mirza Ghalib Shayari in Hindi
आज हम एक ऐसे शायर के बारे में बताने जा रहे है जिसका तख़ल्लुस ही उसकी पहचान है.ग़ालिब एक ऐसी शख्सियत है जो की सब पर छाई हुई है.

ग़ालिब की शख्शियत लोगो पर इस क़दर हावी है की जब भी कही कोई शेर पढ़ा जाता है तो ग़ालिब का नाम अपने आप ही आ जाता है और शायद ही कोई महफ़िल या ऐसा मुशायरा होगा जिसमे ग़ालिब का नाम न लिया जाये.


वो आज की शायरी की दुनिया के नायक है और 200 सालो से उनकी शायरी लोगो के दिलो में जज़्बात बनकर ज़िन्दा है.

उनका जन्म सैनिक पृष्ठभूमि वाले परिवार में हुआ था.उनके दादा समरकंद से भारत आये थे.उनके पिता सैनिक थे.

लेकिन उनके पिता की उनके बचपन में ही मृत्यु हो गयी थी,और उनके चाचा भी जल्दी चल बसे.

इसके बाद मिर्ज़ा ग़ालिब अपनी माता के यहाँ यानि की अपने ननिहाल में रहे और वहीं उनका पालन पोषण हुआ.


मिर्ज़ा ग़ालिब ज़्यादा पढ़े लिखे नहीं थे, लेकिन उन्हें उर्दू,फ़ारसी,ज्योतिषशास्त्र,रहस्य वाद,और दर्शन शास्त्र का अच्छा ज्ञान था.

उनकी रूचि धीरे-धीरे शायरी में बढ़ने लगी थी,और वे फ़ारसी कवियों की रचनाओं का अध्ययन अपने आप ही करने लगे थे.


लोगो के द्वारा नकारे जाने क बाद भी उन्होंने अपनी काबिलियत को साबित किया और दुनिया को दिखाया की वो उर्दू शायरी के कितने बड़े शायर है.

आज हम शायरी की बात करते है तो सबसे पहला नाम मिर्ज़ा ग़ालिब का ही आता है.

ग़ालिब साहब के पिता और दादा ने दिल्ली,जयपुर और लाहौर में काम किया था.सैनिक पृष्ठभूमि होने के कारण उनको खूब घूमने को मिलता था तथा वे जहां भी जाते वहां की भाषा और संस्कृति पर गौर करते थे.



मिर्ज़ा ग़ालिब जब सिर्फ 5 साल के थे तभी उनके पिता अलवर के पास एक युद्ध में 1803 में चले बसे.मिर्ज़ा ग़ालिब की शादी सिर्फ 13 साल में ही हो गयी थी,उस समय उनकी बेगम की उम्र भी सिर्फ 11 साल थी.


मिर्ज़ा ग़ालिब बाद में दिल्ली आ गए और सारी उम्र वे दिल्ली में ही रहे.ग़ालिब की शायरी का मतलब हर कोई नही समझ पाता था इसलिए उस समय के लोग उनको ज़्यादा पसंद नहीं करते थे.

ग़ालिब ने अपने जीवन में बहुत ग़रीबी देखी थी  इसी वजह से उनके शेर ओ शायरी में बहुत दर्द देखने को मिलता है.वो ग़रीबी और बेकारी में बुरी तरह से घिर चुके थे. ग़ालिब के उन दिनों के हालात पर ये शेर एकदम सटीक बैठता है.


dil hi to hai na sang o khisht dard se bhar na aaye kyu.
royenge ham hazaar baar koi hame sataye kyu..


Shayari of Mirza Ghalib
Shayari of Mirza Ghalib


ग़ालिब के शेर उस समय बहुत मशहूर हो गए थे.

जैसे की ये शेर…



hazaaron khwahishen esi ki har khawahish pe dam nikle.
bahut nikle mere armaan fir bhi kam nikle…


Mirza Ghalib Shayari in Urdu
Mirza Ghalib Shayari in Urdu


ऐसे ही कुछ नायाब शेर आज हम आपके सामने पेश करने वाले है,उम्मीद है आपको पसंद आएंगे.





अपने जी में हमने ठानी और है

कोई दिन गर ज़िंदगानी और है
अपने जी में हमने ठानी और है 
आतिश -ऐ -दोज़ख में ये गर्मी कहाँ
सोज़-ऐ -गम है निहानी और है
बारह देखीं हैं उन की रंजिशें ,
पर कुछ अब के सरगिरानी और है 
देके खत मुँह देखता है नामाबर ,
कुछ तो पैगाम -ऐ -ज़बानी और है 
हो चुकीं ‘ग़ालिब’ बलायें सब तमाम ,
एक मर्ग -ऐ -नागहानी और है.




गैर ले महफ़िल में बोसे जाम के
हम रहे यूँ तृष्णा-ऐ-लब पैगाम के

ख़त लिखेंगे गरचे मतलब कुछ न हो
हम तो आशिक़ हैं तुम्हारे नाम के

इश्क ने “ग़ालिब” निक्कमा कर दिया
वरना हम भी आदमी थे काम के.

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